भृकुटी ध्यान :-:- इसे तीसरी आंख पर ध्यान केन्द्रित करने वाला ध्यान कहा जाता है। इसके लिये इंसान को अपने आपको बंद करके, अपना सारा ध्यान अपने माथे की भौंहों के बीच में लगाना होता है। इस ध्यान को करते वक्त व्यक
श्रवण ध्यान :-इस ध्यान को सुन कर किया जाता है, ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो इस ध्यान को करके सिद्धि और मोक्ष के मार्ग पर चलते है। सुनना बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के मन के भटकने की संभावनायें बह
प्राणायाम ध्यान :- इस ध्यान को व्यक्ति अपनी श्वास के माध्यम से करता है। जिसमें इन्हें लम्बी और गहरी सांसों को लेना और छोड़ना होता है और साथ ही इन्हें अपने शरीर में आती हुई और जाती हुई सांसों के प्रत
मंत्र ध्यान :- इस ध्यान में व्यक्ति को अपनी आंखों को बंद करके ओउम् मंत्र का जाप करना होता है और उसी पर ध्यान लगाना होता है। क्योंकि हमारे शरीर का एक तत्व आकाश होता है तो व्यक्ति के अंदर ये मंत्र आका
तंत्र ध्यान :- इस ध्यान में इंसान को अपने दिमाग को सीमित रखकर अपने अन्दर के आध्यात्म पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। इसमें व्यक्ति की एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसमें व्यक्ति अपनी आंखों
योग ध्यान :-ध्यान योग का महत्वपूर्ण अंग है जो तन-मन और आत्मा के बीच संबंध बनाता है क्योंकि योग का मतलब ही जोड़ होता है तो इसे करने का कोई खास तरीका नहीं होता बल्कि इस ध्यान को इनके करने के विधि के आधार पर कुछ अ