मेडिटेशन एक ऐसी अवस्था है जो इंसान के तन, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ती या मिलाती है। मेडिटेशन का मतलब होता है स्वयं को पाना और स्वयं को पाने का एकमात्र साधन ही मेडिटेशन है। मेडिटेशन इंसान की सारी ऊर्जा को केन्द्रित करता है और साथ ही मेडिटेशन को पर्दा हटाने की कला भी माना जाता है तथा ये पर्दा इंसान के बाहर नहीं बल्कि उसके अन्दर, उसके अंतःस्थल पर पड़ा होता है, किन्तु ये पर्दा है किस चीज का ? और मेडिटेशन इसे क्यों हटाता है ?....ये पर्दा है विचारों का, जैसे कि अच्छे विचार, बुरे विचार व ऐसे विचार जो आपको बांधे रखते हैं लेकिन आप इन विचार के पार झाँकने लग जाते हो या अपने विचारों को काबू करने सफल हो जाते हो तो आपको शांति की अनुभूति होने लगी है। इसीलिये निर्विचार अवस्था को ही ध्यान कहा जाता है। इंसान के अन्दर चल रहे अलग-अलग विचारों का कारण होता है, इंसान का मन जो कभी भी शांत नहीं बैठता, कुछ न कुछ सोचता ही रहता है। जिससे इंसान को न तो संतुष्टि हो पाती है और ना ही वो शांत रह पाता है। मेडिटेशन आपके मन को काबू करना सिखाता है और आपको उस अकल्पनीय शांति का अनुभव करता है, जो आपको मोक्ष के दरवाजे तक ले जाती है।
जीवन शैली :- सात्विक भोजन करना, शारीरिक स्चछता का पालन करना, सकारात्मक विचार रखना और सद्गुणों को पालन करना, मन में शांति, सुकुन का अनुभव देता है जो कि मेडिटेशन के लिये मानसिक स्थिति बनाती है सभी ध्यान क्रियायें इनके महत्व को मानती हैं।
मेडिटेशन का समय :- सुबह 4 बजे से 6 बजे तक का समय मेडिटेशन के लिये उपयुक्त माना गया है। इस समय वातावरण में शांति रहती है। किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होता है। मेडिटेशन क्रियाओं के अनुसार यह समय मानसिक शक्तियों के विकास के लिये सर्वोत्तम माना गया है।
मेडिटेशन का स्थान :- मेडिटेशन करने के लिये एकांत स्थान ही उचित होता है। जहां पवित्र या साफ-सुथरी जगह हो वह स्थान मेडिटेशन के लिये सबसे उत्तम होता है क्योंकि वहां साफ हवा का संचार होता है। एक ही स्थान पर प्रतिदिन मेडिटेशन करना अच्छा माना जाता है। जमीन पर ऊंनी आसन, चटाई, कुश के आसन, रूई की गद्दी आदि बिछाकर व पालथी मारकर (सुखासन या पद्मासन) बैठना चाहिये।
मेडिटेशन में शरीर की स्थिति :- आंखे बंद और पीठ सीधी होनी चाहिये। आराम पूर्वक बैठे, अकड़ कर या कोई ऐसी स्थिति में न बैठे जिससे शरीर को दर्द या असुविधा हो और मन विचलित हो। दोनो हाथों को गोद में या घुटनों पर होना चाहिये।
नियमित मेडिटेशन :- नियमित मेडिटेशन का मतलब है कि जैसे हम प्रतिदिन खाना खाते, सोते या कोई अन्य कार्य करते हैं ठीक उसी प्रकार मेडिटेशन भी प्रतिदिन करना चाहिये तभी मेडिटेशन करने से होने वाले लाभों को हम महसूस कर पायेंगे।
विचारों पर नियंत्रण :- मेडिटेशन के लिये मनुष्य को विचारों पर नियंत्रण रखना बहुत ही जरूरी है। यदि मन में किसी प्रकार का विचार आये भी तो उसे आने न दें। विचार मुक्त होने का प्रयास करें उनमें खोये नहीं। उस विचार श्रृंखला में प्रवेश करने उसे बढ़ायें नहीं, धीरे-धीरे विचार की गति धीमी होती जायेगी और मन विचार मुक्त होने लगेगा। इसमें कितना समय लगेगा यह आपके इच्छाशक्ति और प्रयास की गंभीरता पर निर्भर करता है।