योग संस्कृत के शब्द युज से लिया गया है। जिसका अर्थ है जोड़ना। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला है-जोड़ और दूसरा है-समाधि। और जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव है। इसे हम शरीर तथा मन का संयोग कह सकते हैं। योग मनुष्य के गुणों, ताकत अथवा शक्तियों का आपस में मिलना है। योग एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा छिपी शक्तियों का विकास होता है। योग धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान तथा शारीरिक सभ्यता का समूह है। योग के माध्यम से मनुष्य को आत्मविश्वास प्राप्त होता है। योग का उद्देश्य शरीर को लचकदार तथा निरोग बनाना है। यह शरीर, मन तथा आत्मा की आवश्यकतायें पूर्ण करने का एक अच्छा साधन है। शारीरिक स्वास्थ्य तथा निरोगता योग द्वारा प्राप्त करने का जो तरीका पतजंलि ने बताया है उसे अष्टांग योग कहा जाता है।