तंत्र ध्यान :- इस ध्यान में इंसान को अपने दिमाग को सीमित रखकर अपने अन्दर के आध्यात्म पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। इसमें व्यक्ति की एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसमें व्यक्ति अपनी आंखों को बंद करके अपने हृदय चक्र से निकलने वाली ध्वनि पर ध्यान लगता है। व्यक्ति इसमें दर्द और सुख दोनों बातों का विश्लेषण करता है।