योग ध्यान :-ध्यान योग का महत्वपूर्ण अंग है जो तन-मन और आत्मा के बीच संबंध बनाता है क्योंकि योग का मतलब ही जोड़ होता है तो इसे करने का कोई खास तरीका नहीं होता बल्कि इस ध्यान को इनके करने के विधि के आधार पर कुछ अन्य ध्यानों में बांटा गया है जो निम्न हैं
1. चक्र ध्यान :- हर मनुष्य के शरीर में 7 चक्र होते हैं। इन ध्यान को करने का मतलब उन्हीं चक्रों पर ध्यान लगाने से है। इन चक्रों को शरीर की ऊर्जा का केन्द्र भी माना जाता है। इस ध्यान में ज्यादातर हृदय चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है।
2. दृष्टा ध्यान :- इस ध्यान को ठहराव भाव के साथ आंखों को खोल कर किया जाता है। इसका मतलब है कि आप लगातार किसी वास्तु पर दृष्टी रख कर ध्यान करते हो। इस स्थिति में आपकी आंखों के सामने ढेर सारे विचार, तनाव और कल्पनायें आती हैं। इस ध्यान की मदद से आप बौधिक रूप से अपने वर्तमान को देख और समझ पाते हैं।
3. कुंडलिनी ध्यान :- इस ध्यान को सबसे मुश्किल ध्यान में से एक माना जाता है। इसमें मनुष्य को अपनी कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करना होता है। जो व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में स्थित होती है। इसको करते समय मनुष्य धीरे-धीरे अपने शरीर के सभी आध्यात्मिक केन्द्रों को या दरवाजों को खोलता जाता है और एक दिन मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। इस ध्यान को बहुत ही सावधानी पूर्वक करना पड़ता है।