भृकुटी ध्यान :-:- इसे तीसरी आंख पर ध्यान केन्द्रित करने वाला ध्यान कहा जाता है। इसके लिये इंसान को अपने आपको बंद करके, अपना सारा ध्यान अपने माथे की भौंहों के बीच में लगाना होता है। इस ध्यान को करते वक्त व्यक्ति को बाहर और अंदर पूर्णतः शांति का अनुभव होने लगता है। इन्हें अपने माथे के बीच में ध्यान केन्द्रित कर अंधकार के बीच में स्थित रोशनी की उस ज्वाला की खोज करनी होती है जो इंसान की आत्मा को परमात्मा तक पहुंचाने का मार्ग दिखलाती है। जब आप इस ध्यान को लगातार करते हो तो ये ज्योति आपके सामने प्रकट होने लगती है, शुरूआत में ये रोशनी अंधेरे में से निकलती है फिर पीली हो जाती है, फिर उसके बाद सफेद होते हुये नीली हो जाती है तथा आपको परमात्मा के पास ले आती है।