श्रवण ध्यान :-इस ध्यान को सुन कर किया जाता है, ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो इस ध्यान को करके सिद्धि और मोक्ष के मार्ग पर चलते है। सुनना बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के मन के भटकने की संभावनायें बहुत ज्यादा होता हैं। इसमें आपको बाहरी नहीं बल्कि अपनी आंतरिक आवाजो को सुनना होता है, इस ध्यान की शुरूआत में आपको ये आवाजे बहुत ही धीमी सुनाई देती है और धीरे-धीरे ये नाद में परिवर्तित हो जाती है और एक दिन आपको ओउम् स्वर सुनाई देने लगता है।