ओउम् का जाप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इसके निरन्तर जाप करने से हमारी आत्मा सक्रिय हो जाती है। हमारे शरीर में नई चेतना व ऊर्जा का समावेश होता है। शरीर में मौजूद मृत कोशिकायें भी पुनः जीवित हो जाती हैं। मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मंत्र का शरीर पर इतना प्रभावी असर है कि इसे सभी मंत्रों की जननी कहा जाता है। आइये जान लेते हैं कि इसके क्या-क्या लाभ हैं ?
1. कई बार ओउम् का जाप करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है।
2. ओउम् का उच्चारण हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
3. ओउम् के जाप से इससे पाचन शक्ति तेज होती है।
4. यदि आपको अन्दर से घबराहट या अधीरता महसूस होती है तो ओउम् के उच्चारण से उत्तम और कुछ नहीं।
5. यह शरीर के विषैले तत्वों को दूर करता है अर्थात् तनाव के कारण पैदो होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण रखता है।
6. ओउम् के जाप से शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है और थकान भी महसूस नहीं होती है।
7. नींद न आने की समस्या भी ओउम् के जाप करने से दूर हो जाती है।
8. ओउम् के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इस कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है और ओउम् के दूसरे शब्द का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होता है जो कि थायराइड ग्रन्थी पर प्रभाव डालता है।
1. ओउम् के जाप से जीवन जीने की शक्ति और दुनिया की चुनौतियों का सामना करने का अपूर्व साहस मिलता है।
2. ओउम् के उच्चारण से प्रकृति के साथ बेहतर तालमेल और नियंत्रण होता है। हर प्रकार की परिस्थितियों को पहले ही भांपने की शक्ति उत्पन्न होती है।
3. ओउम् के उच्चारण से जीवन जीने का उद्देश्य पता चलता है और जीवन में किसी बात का डर नहीं रहता।
4. आत्महत्या जैसे कायरता के विचार आस-पास नहीं आते और अपने मन को वश में करने की क्षमता होती है।
1. ओउम् के उच्चारण से ईश्वर से सम्बन्ध जुड़ता है और लम्बे समय तक अभ्यास करने से ईश्वर को महसूस करने की ताकत पैदा होती है।
2. इसके उच्चारण से जीवन के उद्देश्य स्पष्ट होते हैं और यह पता चलता है कि कैसे ईश्वर सदा हमारे साथ बैठा है और हमें प्रेरित कर रहा है।
3. ओउम् के उच्चारण से मृत्यु का डर भी नहीं रहता क्योंकि काल का भी काल ईश्वर है, वो सब कालों में मेरी रक्षा मेरे कर्मानुसार कर रहा है, ऐसा सोच कर व्यक्ति डर से सदा के लिये दूर हो जाता है।
यदि अभी भी कुछ संदेह नहीं मिट रहे हैं तो उसके लिये एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं- जिस तरह हवा को देखने के बजाय स्पर्श से पहचाना जाता है उसी तरह करने योग्य बात को बोलकर अधिक समझाया नहीं जा सकता तो आप स्वयं कुछ दिन इसका अभ्यास करें और इसका फायदा देखें।