
ॐ कहने को तो केवल तीन अक्षरों की संधि से बना हुआ एक शब्द है (अ$उ$म)! शब्दों से तो केवल लेख रचे जाते हैं!़ ॐँ की वास्तविकता क्या है ? ॐँ क्या है? ॐँ कहाँ से आया है? इसकी उत्त्पत्ति कैसे हुई? ये सब एक रहस्य है जो अनादिकाल से सुलझता आ रहा है! ॐँ का एक व्यापक स्वरूप है ओम केवल एक शब्द नहीं अपितु एक नाद है! नाद का अर्थ, हम कह सकते हैं, एक ध्वनि या एक गूँज है! कहा जाता है कि जब सृष्टि रची नहीं गई थी! ब्रह्माण्ड में चहुँ ओर केवल अ्रन्धकार ही अ्रन्धकार था! सृष्टि एक निर्वात थी! हर दिशा एक शून्य थी! इस शून्य में एक नाद(गूँज) उत्त्पन्न हुई! इसी गूँज को आज हम ॐ कहते हैं! इस नाद से सारी सृष्टि गुँजायमान होने लगी! ब्रह्माण्ड का यह पहला नाद ही आगे चलकर ॐ कहलाया! इस गूँज की बारम्बारता ने धीरे धीरे एक मंत्र का रूप धारण कर लिया! ॐ रूपी गूँज के कारण ब्रह्माण्ड की शुन्यता धीरे धीरे निलुप्त होने लगी! ॐ की गूँज से सृष्टि में ब्रह्माण्ड में कम्पन्न होने लगा! धीरे धीरे सृष्टि की रचना आरम्भ होने लगी! ॐ रूपी मंत्र को पवित्र इसलिऐ माना जाता है कि ब्रह्माण्ड में उस समय कुछ नहीं था जिसके कारण ओम को पवित्र माना जाता है! ॐ रूपी मंत्र को महामंत्र कहा जाता है! इसी मंत्र से हर एक मंत्र की उत्त्पत्ति होने के कारण इसे बीज मंत्र कहा जाता है! हर मंत्र की शुरूआत में पहले इसी मंत्र को उच्चारित किया जाता है! ॐ ही इस सुष्टि की रचना का कारक माना जाता है!